नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स

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संसार के कोलाहल में यह धर्म का द्वीप शान्त है, सौम्य है, स्थिर है। यहाँ धर्म का दीप सदा प्रज्वलित होता है। इसके तले, बुद्ध के प्राचीन सूत्र आलोकित होते हैं। साथ ही, गहन ग्रंथ और लेख प्रकाशित होते हैं। धम्मदीप एकमेव शरण, जहाँ मूल धर्म—सहज, सुलभ, निशुल्क है। 😇

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मार्गदर्शिका

यह मार्गदर्शिका नए अतिथियों के लिए तैयार की गई है, ताकि धर्म का एक सुलभ और स्पष्ट परिचय मिल सके। इसमें आपके प्रारंभिक प्रश्न—‘कौन?’, ‘क्या?’, ‘कहाँ?’, ‘क्यों?’ और ‘कैसे?’ के उत्तर दिए गए हैं। इसका उद्देश्य आपको धर्म की मूल बातें समझाने में मदद करना है, ताकि आप एक स्पष्ट दृष्टिकोण के साथ आगे बढ़ सकें।

🌄 बुद्ध कौन थे?

हजारों साल पहले ‘सिद्धार्थ गौतम’ इस धरती पर जन्मे। उन्होंने सांसारिक जीवन त्यागकर कालातीत आर्यधर्म को फिर से खोजा। संबोधि प्राप्त कर वे जन्म-मरण के चक्र से मुक्त हुए और ‘बुद्ध’ कहलाए। उन्होंने अनंत ज्ञान पाया, जिसका एक अंश उन्होंने मानवता के लिए साझा किया। उनके धर्म ने दुख से मुक्ति का एक सीधा और व्यावहारिक मार्ग दिखाया—जहाँ पथिक को मंज़िल मिली और समाज को नई दिशा।

उनके बारे में कहा जाने लगा, “वाकई भगवान ही अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध है—विद्या और आचरण से संपन्न, परम लक्ष्य पा चुके, दुनिया के ज्ञाता, दमनशील पुरुषों के अनुत्तर सारथी, देवों और मनुष्यों के गुरु, बुद्ध भगवान!”

लेकिन उस समय का समाज कैसा था? कौन-सी आध्यात्मिक और दार्शनिक धारा बह रही थी? सिद्धार्थ ने उन सबके बीच संबोधि का रास्ता कैसे ढूँढ निकाला? जानिए इस लघु लेख में —➤🪔 दार्शनिक पृष्ठभूमि ⋙

आज बुद्ध के बारे में कई भ्रांतियाँ हैं। लोग उन्हें अपनी पसंदीदा कथाओं से जोड़कर एक नया रूप देते हैं। कई पौराणिक कथाएँ, उपदेश और चमत्कारी घटनाएँ उनसे जोड़ी गईं, जिनका उनसे कोई संबंध नहीं। लेकिन बुद्ध की असली जीवनी प्राचीन बौद्ध साहित्य में बिखरी हुई है। हमने उन सच्चे और प्रमाणिक विवरणों को एकत्रित कर कालक्रम में बताने का प्रयास किया हैं, जिसे भगवान ने स्वयं बताया हो। प्रस्तुत हैं —➤ 📽️ बुद्ध की आत्मकथा ⋙

🪔 धर्म क्या है?

बुद्ध के धर्म की चर्चा हर ओर होती थी, “वाकई भगवान का धर्म स्पष्ट बताया है, तुरंत दिखता है, कालातीत है, आजमाने योग्य, परे ले जाने वाला, समझदार द्वारा अनुभव योग्य!”

बुद्ध ने धर्म की व्याख्या श्रोताओं की क्षमता के अनुसार की। जब गृहस्थ उनसे प्रश्न करते, तो वे पहले संतोषजनक उत्तर देते, फिर क्रमबद्ध रूप से धर्म समझाते। पहले दान, शील, और स्वर्ग के बारे में बताते, फिर भोगों की दोषपूर्ण प्रकृति और संन्यास के लाभ पर प्रकाश डालते। अंत में, बुद्ध श्रोता के मन की स्थिति परखते — यदि वह प्रसन्न और आश्वस्त होता, तो वे उसे आर्यसत्य का ज्ञान कराते। इस प्रक्रिया से अधिकांश श्रोता पहले अमृतफल का अनुभव कर लेते थे। हमने भी यही प्रयास किया है — आपको धर्म उसी क्रम में, बुद्ध के शब्दों में, प्रस्तुत करने का। तो लीजिए —➤ 🪔 बुद्ध का धर्म प्रवचन ⋙

जब कोई व्यक्ति बुद्ध का धर्म सुनकर संन्यास ग्रहण करता, तो उसे शील, समाधि और प्रज्ञा की क्रमबद्ध शिक्षा दी जाती, जो उसे परममुक्ति की दिशा में अग्रसर करती। आइए जानें इस गहन मार्ग को और निकट से —➤ 🪜 भिक्षु का क्रमबद्ध प्रशिक्षण ⋙

आज के युग में बौद्ध धर्म को लेकर कई भ्रांतियाँ फैल गई हैं। हमने कुछ महत्वपूर्ण प्रश्नों के उत्तर देने का प्रयास किया है, ताकि सत्य को स्पष्ट किया जा सके।

☹️ क्या बौद्ध धर्म निराशावादी है? ⋙

🤔 क्या धर्म का तार्किक होना अनिवार्य है? ⋙

🫣 आत्मा है, या नहीं? ⋙

😓 पारमिता का मिथक ⋙

🙈 निर्वाण का खौफ़! ⋙

🕊️ संघ क्या है?

सिद्धार्थ गौतम के बोधि प्राप्त करने के बाद, वे संसार के हर ऋण से मुक्त हो चुके थे, यहाँ तक कि धर्म सिखाने की जिम्मेदारी से भी। फिर किसने उनसे विनती की, जिससे वे धर्म सिखाने के लिए तैयार हुए? उन्होंने धर्मचक्र प्रवर्तन कर तीसरे रत्न—भिक्षुसंघ—की स्थापना कैसे की? भिक्षुसंघ का पहला सदस्य कौन बना, सबसे पहला अर्हंत कौन था, और प्रथम उपासक-उपासिका कौन थे? भगवान ने परम मुक्ति का उपहार देने के लिए कौन-कौन से चमत्कार किए, और दुष्प्रचार का सामना किस तरह किया? इन सभी रोमांचक और ज्ञानवर्धक प्रश्नों के उत्तर जानने के लिए, हमारी रोचक शृंखला पढ़ें

📽️ संघ कथा - भाग एक ⋙

📽️ संघ कथा - भाग दो ⋙

भगवान के भिक्षुसंघ की प्रसिद्धि फैली, “वाकई भगवान का श्रावकसंघ सुमार्ग पर चलता है, सीधे मार्ग पर चलता है, यथार्थ मार्ग पर चलता है, उचित मार्ग पर चलता है। चार जोड़ी में, आठ प्रकार के आर्यजन — यही भगवान का श्रावकसंघ है — उपहार योग्य, सत्कार योग्य, दक्षिणा योग्य, वंदना योग्य, दुनिया के लिए अनुत्तर पुण्यक्षेत्र!”

बुद्ध परिनिर्वाण के ढ़ाई सौ वर्षों के बाद, एक समय ऐसा आया जब भिक्षुसंघ विभिन्न गुटों में विभाजित होता चला गया। आज यह मुख्य रूप से तीन प्रमुख समुदायों में बंटा हुआ है। इससे जुड़े सभी सवालों के जवाब जानने के लिए पढ़ें हमारा लेख —➤ ➗ महायान और हीनयान क्या हैं ⋙

🏳️ शरण क्या है?

बुद्ध, धम्म और संघ को ‘त्रिरत्न’ कहते हैं। जब कोई अपने जीवन में उन त्रिरत्नों को मार्गदर्शक, आदर्श और अंतिम शरणस्थली के रूप में स्थापित करता है, तो उसे ‘शरण जाना’ कहते हैं।

लेकिन ऐसे कृत्य को ‘शरण’ क्यों कहते हैं? शरण का गहरा और व्यापक अर्थ क्या हैं? क्या तीनों ही रत्नों की शरण जरूरी हैं अथवा एक या दो से काम चल जाएगा? शरण से जुड़े अनेक प्रश्नों का उत्तर जानने के लिए, प्रस्तुत है यह लेख —➤ 🛐 शरण क्या है? ⋙

🧮 बौद्ध सिद्धान्त क्या हैं?

आज दुनिया भर में बौद्ध सिद्धांतों के प्रति अद्वितीय आकर्षण है, चाहे वह दर्शनशास्त्री हों, क्वांटम भौतिकशास्त्री हों, या मनोविज्ञानी। बौद्ध विचारधारा जीवन के गहरे सवालों—मानव अनुभव, चित्त वृत्तियाँ, तनाव के कारण और उसके निवारण—पर विलक्षण स्पष्टता प्रदान करती है। यह वास्तविकता का ऐसा दृष्टिकोण प्रस्तुत करती है जो अनुभवजन्य और तार्किक दोनों है, हर स्तर पर गहन अंतर्दृष्टि देती है। इतना ही नहीं, कई अन्य धर्मों को भी अपने मूलस्वरूप में परिवर्तन कर बौद्ध सिद्धांतों को अपनाने की आवश्यकता महसूस हुई है।

चाहे कर्म का सिद्धांत हो, या कारण-कार्य और प्रतित्य समुत्पाद का सूत्र। चार आर्य सत्य जैसी शिक्षाएँ भी जीवन की जटिलताओं का सरल और सटीक विश्लेषण प्रस्तुत करती हैं। इन सिद्धांतों का महत्व और उनका गहरा प्रभाव, हर युग में देखा जा सकता है। तो प्रस्तुत हैं —➤ 🧮 बौद्ध सिद्धान्त क्या हैं? ⋙

⛩️ बौद्ध स्थल कहाँ हैं?

चार स्थल बौद्ध श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत पवित्र और प्रेरणादायक हैं — लुम्बिनी जहाँ सिद्धार्थ गोतम का अंतिम जन्म हुआ, बोधगया जहाँ उन्हें अनुत्तर सम्यक-सम्बोधि प्राप्त हुई, सारनाथ जहाँ धर्मचक्र प्रवर्तन हुआ, और कुशीनगर जहाँ वे परिनिवृत हुए। ये स्थल ऐतिहासिक और सांस्कृतिक ही नहीं, बल्कि साधकों को बुद्ध के गहरे अध्यात्म से जोड़ने की क्षमता रखते हैं। इन स्थलों की यात्रा श्रद्धा में वृद्धि और आध्यात्मिक उत्क्रांती का मार्ग बनती है।

इन चार प्रमुख स्थलों के अलावा, अन्य कई बौद्ध स्थल भी प्रसिद्ध हैं, जहाँ बुद्ध ने अपने जीवन के कई वर्ष बिताकर धर्म की उपदेश दिया। आज भी उन पवित्र स्थलों पर भगवान और अर्हंतों के धातु पर बने स्तूप विराजमान हैं। प्रस्तुत हैं —➤ ⛩️ बौद्ध स्थलों की सूची ⋙

🌈 अध्यात्म क्यों?

पौराणिक जीवन हो या आधुनिक, हमारे अस्तित्व पर हमेशा से भोगवादी संस्कृति और कामसुखों का वर्चस्व रहा है। रफ़्तार पकड़े आधुनिक जीवन में सोशल मीडिया की चमक, एक मज़ा ज़रूर देती हैं, लेकिन राहत, सुख और आत्मसंतुष्टि देने में असफल रहती हैं। इस अनन्त कामभोग की खोज में, कई लोग डूब जाते हैं, तो कई ऊब जाते हैं। तब समझदार लोग जीवन की वास्तविकता और उसकी सार्थकता ढूँढने लगते हैं।

धर्म के नाम पर अंधविश्वासी भक्त लुटते हुए दिखते हैं, या हिंसक होकर लूटते हुए। एक-ओर सामान्य बुद्धि कंगाल होती है, तो दूसरी-ओर सामाजिक मधुरता बर्बाद। धर्म के विकृत स्वरूप देखकर किसी भी समझदार व्यक्ति का नास्तिक बन जाना स्वाभाविक है, किन्तु समाधानकारक नहीं।

इन सब से परे सच्चे आंतरिक सुख के लिए, हमें गहरे अध्यात्म की आवश्यकता है—ऐसा मार्ग जो वैज्ञानिक रूप से सिद्ध हो, आत्मनिर्भर बनाता हो, जीवन में स्थायी शान्ति और राहत लाता हो। इस लेख में, हमने सबूत जुटाकर अध्यात्म के ठोस लाभों पर चर्चा की है जो जीवन को सार्थक और खुशहाल बना सकते हैं। प्रस्तुत हैं —➤ 🌈 अध्यात्म जीवन क्यों? ⋙

🏞 बौद्ध धर्म ही क्यों?

जब कोई यह मान ले कि अनैतिकता से नैतिकता बेहतर है, और भोगवाद या सांप्रदायिकता से अध्यात्म श्रेष्ठ है, तब स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठता है कि सभी आध्यात्मिक मार्गों में से कौन-सा मार्ग सबसे उपयुक्त है? ऐसा कौन-सा विशेष गुण है, जो किसी एक मार्ग को अन्य सभी के मुकाबले श्रेष्ठ बनाता है? यह प्रश्न उन लोगों के लिए भी प्रासंगिक है, जो अपने जीवन में गहराई, संतुलन और आंतरिक शांति की तलाश में हैं।

बुद्ध का मार्ग अन्य धार्मिक और आध्यात्मिक मार्गों की तुलना में अधिक व्यावहारिक और अनुभव-आधारित है। जहाँ अन्य धर्म बाहरी पूजा, रहस्यमयी सिद्धियों या स्वर्गीय वादों पर आधारित होते हैं, वहीं बौद्ध धर्म भीतर की यात्रा और स्व-अनुभव पर ज़ोर देता है। यह न केवल आंतरिक शांति और मानसिक स्थिरता की ओर ले जाता है, बल्कि आपको जीवन की हर चुनौती से निपटने के लिए मानसिक उपकरण भी प्रदान करता है।

प्रस्तुत हैं —➤ 🏞 बौद्ध धर्म ही क्यों? इस निबंध में इन्हीं बिंदुओं का विश्लेषण किया गया है, ताकि आप जान सकें कि बुद्ध का मार्ग क्यों चुना जाना चाहिए और यह अन्य आध्यात्मिक पथों से किस प्रकार भिन्न और श्रेष्ठ है।

🌱 शुरुवात कैसे करें?

जब किसी को बुद्ध पर विश्वास होने लगे या वह इस धर्म को एक अवसर देना चाहें, तो शुरुआत करने का सही तरीका जानना आवश्यक है।

धर्म का पहला कदम क्या होता है? इसके बाद उन्हें आगे क्या करना चाहिए? पढ़ें —➤ 🌱 शुरुवात कैसे करें? ⋙

सुख, सफलता और स्वर्ग की कामना करने वाले साधक पढ़ें —➤ 📓 पुण्य ⋙

जीवन की समस्याएँ दूर करें। सुरक्षा, शांति और मंगल के लिए यहाँ रक्षा-सूत्रों का श्रवण करें। साथ ही, स्वयं मङ्गल पठन करें —➤ 📗 परित्त ⋙

🪷 मुक्ति कैसे पाएँ?

मुक्ति कोई वरदान नहीं, जो किसी देवता की कृपा से मिल जाए। न ही यह समय पूरा होने पर अपने आप घटित होती है। मुक्ति तभी मिलती है, जब हम सही सूझबूझ के साथ, सही साधना करते हुए, सही बोध करते हैं।

सही बोध करने पर सच्चाई का दर्शन होता है। सच्चाई के दर्शन से मोह-माया का जाल टूटता है। उसके टूटने से चित्त विराग होता है। वीतराग अवस्था में दुःखों का अन्त होता है, और वहीं मुक्ति घटित होती है।

धर्म के मार्ग पर आगे बढ़ने के लिए, साधक को अकुशल आदतों का त्याग करना पड़ता है। साथ ही, कुशल आदतों को बढ़ाना भी पड़ता है। आईयें, मुक्ति मार्ग को ठीक से समझ लें —

➤ अकुशल कैसे त्यागें? ⋙

➤ कुशल कैसे बढ़ाएँ? ⋙

➤ ३७ बोधिपक्खिय धम्म ⋙

➤ ध्यान कैसे करें? ⋙

🔠 बौद्ध शब्दावली

बुद्ध ने धर्म को समझाने के लिए उस समय की प्रचलित भाषा का इस्तेमाल किया, और कुछ नए भी शब्द गढ़कर उन्हें परिभाषित किया। इससे धर्म का प्रचार हुआ। लेकिन समय के साथ, कुछ लोग इसे जाने-अनजाने में बदलने लगे, जिससे धर्म के मूल अर्थ खोने लगे और कई शिक्षाएँ विकृत होते-होते विलुप्त हो गईं।


इसलिए, धार्मिक शब्दों को फिर से उनके सही अर्थ और संदर्भ में समझाना आवश्यक है। हम इसी उद्देश्य से एक नई शब्दावली तैयार कर रहे हैं, जिसमें बौद्ध धर्म के मुख्य शब्दों के सही अर्थ बताने का प्रयास किया गया है, जिस संदर्भ में भगवान उनका प्रयोग करते थे। तो प्रस्तुत है —➤ 🔠 बौद्ध शब्दावली हम आशा करते हैं कि यह समय के साथ और भी विकसित होगी।

सूत्र संग्रह

बुद्ध ने अपने जीवनकाल में अनेक उपदेश दिए। उनके शिष्यों ने उन अनमोल सूत्रों को टोकरी (सुत्तपिटक) में एकत्रित किया और हजारों वर्षों तक सँभाल कर रखा। इनकी सौंदर्य, प्रासंगिकता और उपयोगिता समय के साथ और बढ़ती गई। ये सूत्र मूलतः पालि भाषा में हैं, लेकिन विभिन्न भाषाओं में तेजी से अनुवादित किए गए हैं। प्रस्तुत हैं, सरल हिन्दी में:

दीघनिकाय
दीर्घ निकाय
सुत्तपिटक
सुत्र पिटक

ग्रन्थ संग्रह

मानवता की दशा और दिशा परिवर्तनशील है। सामाजिक मान्यताएँ और व्यक्तिगत आदर्श समय के साथ बदलते हैं। आर्थिक दौड़ में मानव अक्सर नैतिक मार्ग से भटक जाता है। ऐसे में, धर्म का प्रकाशस्तंभ उसकी नैया को दिशा दिखाता है। प्रस्तुत हैं धर्म के अडिग स्तंभ, जो बुद्ध की सनातनी शिक्षाओं के विषयवार संकलन से निर्मित हुए हैं:

पुण्य पुस्तक
पुण्य
परित्त पुस्तक
परित्त
पुनर्जन्म की सच्चाई पुस्तक
पुनर्जन्म की सच्चाई
अन्य
अन्य ग्रंथ...

लेख संग्रह

कई भिक्षु साधना में लीन रहते हैं, फिर भी करुणावश समाज को राह दिखाते हैं—कभी अपनी वाणी से, कभी अपनी कलम से। उनकी गहरी अन्तर्ज्ञान से निकली वाणी मन को शान्ति, स्थिरता और स्पष्टता देती है, और कलम जीवन की चुनौतियों को धर्म के उजाले में देखना सिखाती है, ताकि उलझनें स्वतः सुलझकर सही मार्ग दिखाएँ। प्रस्तुत हैं, ऐसे ही कुछ चुने हुए लेख:

लेख

✍🏻 त्वचा के भीतर

✍🏻 धर्म संघर्ष

📑 अन्य लेख

जीवनी संग्रह

धर्मपथ पर चलते हुए अनेक भिक्षुओं ने कठिनाइयों का सामना किया, पर विपरीत परिस्थितियाँ भी उनके ब्रह्मचर्य और साधना को डिगा न सकीं। उनके जीवन, दीप की तरह, अंधकार में राह दिखाते हैं — साहस, धैर्य और निर्वाण संकल्प की प्रेरणा देते हैं। प्रस्तुत हैं उन महापुरुषों की जीवनी, जिन्होंने अपने तप से धम्म की लौ जलाए रखी!

आचार्य मन पुस्तक
आचार्य मन
श्रावकबुद्ध बनभंते पुस्तक
श्रावकबुद्ध बनभंते
मे ची क्यु पुस्तक
मे ची क्यु
अन्य
अन्य जीवनी...

प्रवचन संग्रह

ध्यान-साधना के आचार्यों द्वारा दिए गए ये प्रेरणादायक प्रवचन, साधकों के लिए एक संजीवनी हैं। ध्यान से पहले या बाद में, ये हृदय को गहराई से स्पर्श करते हैं, मन की उलझनों को सुलझाते हैं और बोधि-पथ पर आगे बढ़ने की शक्ति प्रदान करते हैं। प्रस्तुत हैं ऐसे ही शांति और ज्ञान से भरपूर प्रवचन!

प्रवचन

🧘🏻 पहले दान

🧘🏻 कैसे और क्यों?

🧘🏻 अन्य प्रवचन…

हास्य संग्रह

धर्म में हास्य सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मचिंतन और गहन बोध का मार्ग है। हल्के-फुल्के प्रसंग न केवल मुस्कान लाते हैं, बल्कि भीतर नई दृष्टि भी जगाते हैं। जीवन की गहरी सच्चाइयों को हास्य में ढालना जटिलताओं को सरल करता है और बोधि-पथ को सुगम बनाता है। प्रस्तुत हैं ऐसे ही प्रसंग, जहाँ हास्य में छिपा है गहरा अर्थ!

ये गोबर की गाड़ी...
ये गोबर की गाड़ी किसने बुलायी?
अन्य
अन्य हास्य...

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