मानवता की दशा और दिशा निरंतर परिवर्तनशील है। सामाजिक मान्यता और व्यक्तिगत आदर्श बदलते रहते हैं। आर्थिक दौड़ में मानव अक्सर नैतिक राह से भटक जाता है और क्षतिग्रस्त होता है। ऐसे में, तूफ़ान में फँसी उसकी नैया को धर्म का प्रकाशस्तंभ दिशा दिखाता है। यहाँ प्रस्तुत हैं धर्म के कुछ ऐसे अडिग स्तंभ, जो बुद्ध की सनातनी शिक्षाओं के विषयवार संकलन से निर्मित हुए हैं।
पुण्य ‘धर्म की नींव’ है। पुण्य ‘सुख की इमारत’ है। पुण्य ‘मुक्ति की सीढ़ी’ है। इस पुस्तक में आप जानेंगे कि धर्म की उस नींव को वर्तमान जीवन में कैसे रखा जाता है। सुख की उस इमारत को भविष्य के लिए कैसे खड़ा किया जाता है। और त्रिकाल दुःखमुक्ति की उस सीढ़ी पर कैसे चढ़ा जाता है।
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यह पुस्तक बुद्ध के मूल उपदेशों और तर्कसंगत दृष्टिकोण से पुनर्जन्म की अवधारणा को स्पष्ट करती है। यह आधुनिक वैज्ञानिक सोच और बौद्ध परंपरा के बीच एक सेतु का कार्य करती है, यह दिखाते हुए कि पुनर्जन्म केवल आस्था का विषय नहीं, बल्कि एक व्यावहारिक सत्य है, जो नैतिकता और जीवन के अर्थ को गहराई से प्रभावित करता है।
यह पुस्तक हर साधक के लिए एक अनिवार्य मार्गदर्शिका है, जो विमुक्ति की ओर ले जाने वाले साधना-संबंधित सूत्रों को उजागर करती है। यह आपके आध्यात्मिक पथ की मौन सहचर बनेगी — मार्गदर्शन देगी, प्रेरित करेगी और आवश्यक होने पर फटकारेगी भी।
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परित्त का अर्थ है ‘रक्षा’ या ‘सुरक्षा देने वाले सूत्र।’ बौद्ध परंपरा में, परित्त सूत्रों का पाठ शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक कल्याण के लिए किया जाता है। ये सूत्र भगवान बुद्ध के वचनों पर आधारित हैं और संकट से रक्षा, आशीर्वाद तथा मंगल प्रदान करने की शक्ति रखते हैं।
विश्वप्रसिद्ध और ऐतिहासिक पुस्तक “What the Buddha taught” बौद्ध धर्म का परिचय सरल, स्पष्ट और गहरे तरीके से देती है। दशकों से बौद्ध जगत में इसे एक अनिवार्य पुस्तक माना जाता है।