आधुनिक काल में मानवता की दशा और दिशा बदल गयी है। सामाजिक और व्यक्तिगत आदर्श बदल गए है। ऐसी अंधी हौड़ में हमारी सोच क्या होनी चाहिए, और बिना दुर्घटना के कैसे गुज़रना चाहिए? भिक्षुओं के धमाकेदार लेख: