नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स

"अत्त दीप भव!"
जीवन की राह में सबसे बड़ा मार्गदर्शक हमारा भीतर का दीप/द्वीप है, न कि बाहर की तुलना या मान्यता।

आत्म-विश्वास पाओं!

कुछ ऐसे…

🫂आत्म-करुणा ध्यान:

कभी-कभी १० मिनिट आँखें बंद करके चिंतन करें: “जैसे मुझे अपनी कमियाँ देखकर दुःख होता है, वैसे ही दूसरे भी अपने संघर्षों में दुःखी हैं। कोई भी पर्फेक्ट नहीं हैं। मेरे दिल में सबके लिए करुणा हो। खुद के लिए भी!” 1

📵सोशल मीडिया डिटॉक्स:

  • हफ़्ते में २ दिन “No Social Media Day” रखें।
  • इंस्टाग्राम/फेस्बूक इत्यादि प्लैटफ़ार्म पर उन लोगों को “mute” या “unfollow” करें जो तुलना या ईर्ष्या उत्पन्न करते हैं। 2

🪞दिखावा बनाम कर्म🤔

हर दिन खुद से पुछो, “मैंने आज क्या नया सीखा?” 3


📋 सूची | अगला प्रश्न »🏃‍♀️‍➡️



  1. वैज्ञानिक शोध (Dr. Kristin Neff, University of Texas) के अनुसार, यह सेल्फ-कम्पैशन मेडिटेशन आत्म-विश्वास और मानसिक स्वास्थ्य को बेहतर बनाता है। ↩︎

  2. Stanford University और Harvard की रिपोर्ट बताती है कि लगातार तुलना आत्म-संतोष को कम करती है, जबकि सोशल मीडिया सीमित करने से आत्म-सम्मान बढ़ता है। इस विषय पर कई प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों द्वारा शोध किए गए हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख अध्ययन निम्नलिखित हैं:

    1. Stanford University का अध्ययन (2011)
      स्टैनफोर्ड विश्वविद्यालय के प्रोफेसरों बेनोइट मोनिन, कैरोल ड्वेक और जेम्स ग्रॉस द्वारा किए गए एक अध्ययन में पाया गया कि सोशल मीडिया पर दूसरों की खुशहाल तस्वीरें और पोस्ट देखने से लोग यह मानने लगते हैं कि अन्य सभी लोग उनसे अधिक सुखी हैं। इससे अकेलापन और आत्म-संदेह की भावना बढ़ती है, क्योंकि लोग अपनी नकारात्मक भावनाओं को साझा नहीं करते, जबकि दूसरों की सकारात्मक छवियों को देखते हैं। (Study shows social networking sites can lead to negative self-image)
    2. University of Pennsylvania का अध्ययन (2018)
      पेंसिल्वेनिया विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया कि जब प्रतिभागियों ने फेसबुक, इंस्टाग्राम और स्नैपचैट जैसे सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स के उपयोग को प्रतिदिन 30 मिनट तक सीमित किया, तो उनकी अकेलेपन और अवसाद की भावनाओं में उल्लेखनीय कमी आई। यह दर्शाता है कि सोशल मीडिया का सीमित उपयोग मानसिक स्वास्थ्य में सुधार ला सकता है। (Does social media make you lonely? - Harvard Health) इन अध्ययनों से स्पष्ट है कि सोशल मीडिया पर दूसरों से तुलना करना आत्म-संतोष को कम कर सकता है और मानसिक स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। इसलिए, सोशल मीडिया का सीमित और सजग उपयोग करना, साथ ही आत्म-करुणा और आत्म-स्वीकृति का अभ्यास करना, किशोरों के लिए अत्यंत लाभकारी हो सकता है।
     ↩︎
  3. Dr. Carol Dweck (Stanford University) ने दिखाया कि “Growth Mindset” अपनाने वाले किशोर दूसरों से तुलना की बजाय अपने विकास पर ध्यान देते हैं और तनाव कम होता है। ↩︎