नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स
कुशल प्रहाण

कामेच्छा | दुर्भावना | सुस्ती-तंद्रा | बेचैनी-पश्चाताप | उलझन

कुशल कैसे बढ़ाएँ?

कुशल [स्वभाव] को बढ़ाओ! कुशल को बढ़ाया जा सकता है। यदि कुशल को बढ़ाया नहीं जा सकता, तो मैं तुमसे यह न कहता—“कुशल को बढ़ाओ!” परंतु क्योंकि कुशल को बढ़ाया जा सकता है, इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ—“कुशल को बढ़ाओ!”

यदि कुशल को बढ़ाना अहितकर या कष्टदायक होता, तो मैं तुमसे यह न कहता—“कुशल को बढ़ाओ!” परंतु क्योंकि कुशल को बढ़ाना हितकर और सुखदायक है, इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ—“कुशल को बढ़ाओ!”

— अङ्गुत्तरनिकाय २:१९

आईए, बिना किसी देरी के कामेच्छा का त्याग करने की ओर बढ़ें।

कामेच्छा का त्याग »