कुशल [स्वभाव] को बढ़ाओ! कुशल को बढ़ाया जा सकता है। यदि कुशल को बढ़ाया नहीं जा सकता, तो मैं तुमसे यह न कहता—“कुशल को बढ़ाओ!” परंतु क्योंकि कुशल को बढ़ाया जा सकता है, इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ—“कुशल को बढ़ाओ!”
यदि कुशल को बढ़ाना अहितकर या कष्टदायक होता, तो मैं तुमसे यह न कहता—“कुशल को बढ़ाओ!” परंतु क्योंकि कुशल को बढ़ाना हितकर और सुखदायक है, इसलिए मैं तुमसे कहता हूँ—“कुशल को बढ़ाओ!”
— अङ्गुत्तरनिकाय २:१९
आईए, बिना किसी देरी के कामेच्छा का त्याग करने की ओर बढ़ें।