नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स

बोज्झङ्ग गिलान

एक बार महाकश्यप भंते बीमार पड़े, तो भगवान ने यह सूत्र सुनाकर उनका रोग शांत कर दिया। बाद में, एक बार महामोग्गलान भंते भी बीमार पड़े, तब भी भगवान ने इसी सूत्र से उन्हें भी ठीक कर दिया। बाद में, जब स्वयं भगवान अस्वस्थ हुए, तो उन्होंने चुंद भंते से यही सुत्त सुनाने को कहा, और उसके प्रभाव से उनका रोग भी शांत हो गया। यह सूत्र सात बोध्यंगों के स्मरण से चित्त को संतुलित, निर्मल और आरोग्यकारी बनाता है, इसलिए आज भी इसका पाठ रोग शमन और मानसिक शुद्धि के लिए किया जाता है।

📢 बोज्झङ्ग गिलान सुत्तपाठ

Sutra

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।

एकं समयं भगवा राजगहे विहरति वेळुवने कलन्दकनिवापे. तेन खो पन समयेन आयस्मा महाकस्सपो पिप्पलिगुहायं विहरति आबाधिको दुक्खितो बाळ्हगिलानो.

अथ खो भगवा सायन्हसमयं पटिसल्लाना वुट्ठितो येनायस्मा महाकस्सपो तेनुपसङकमि; उपसङकमित्वा पञ्ञत्ते आसने निसीदि. निसज्ज खो भगवा आयस्मन्तं महाकस्सपं एतदवोच –

“कच्चि ते, कस्सप, खमनीयं कच्चि यापनीयं? कच्चि दुक्खा वेदना पटिक्कमन्ति, नो अभिक्कमन्ति; पटिक्कमोसानं पञ्ञायति, नो अभिक्कमो”ति?

“न मे, भन्ते, खमनीयं, न यापनीयं. बाळ्हा मे दुक्खा वेदना अभिक्कमन्ति, नो पटिक्कमन्ति; अभिक्कमोसानं पञ्ञायति, नो पटिक्कमो”ति.

“सत्तिमे, कस्सप, बोज्झङगा मया सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ति. कतमे सत्त?

• सतिसम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

• धम्मविचयसम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

• विरियसम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

• पीतिसम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

• पस्सद्धिसम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

• समाधिसम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

• उपेक्खासम्बोज्झङगो खो, कस्सप, मया सम्मदक्खातो भावितो बहुलीकतो अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तति.

इमे खो, कस्सप, सत्त बोज्झङगा मया सम्मदक्खाता भाविता बहुलीकता अभिञ्ञाय सम्बोधाय निब्बानाय संवत्तन्ती”ति.

“तग्घ, भगवा, बोज्झङगा; तग्घ, सुगत, बोज्झङगा”ति.

इदमवोच भगवा. अत्तमनो आयस्मा महाकस्सपो भगवतो भासितं अभिनन्दि.

वुट्ठहि चायस्मा महाकस्सपो तम्हा आबाधा. तथापहीनो चायस्मतो महाकस्सपस्स सो आबाधो अहोसीति।


( सूत्र समाप्त )


( ऐच्छिक सत्यक्रिया और अनुमोदन:
एतेन सच्चवज्जेन सब्ब रोगा विनस्सतु!
एतेन सच्चवज्जेन सब्ब रोगा विनस्सतु!
एतेन सच्चवज्जेन सब्ब रोगा विनस्सतु! )

Hindi

बोधि-अंगों में शामिल है
स्मृति और स्वभाव-जाँच
ऊर्जा, प्रफुल्लता, प्रशान्ति बोधि-अंग,
तथा समाधि और तटस्थता बोधि-अंग।
सर्व-दर्शी मुनि ने सम्यक रूप से सिखाए
इन सात को जब विकसित व परिपक्व किया जाता है,
तो सर्वोच्च ज्ञान, निर्वाण व बोधि मिलती है।
इस सत्य-वचन से तुम्हारा हमेशा भला हो।

एक समय हमारे रक्षक ने मोग्गलान व कश्यप
को बीमार, पीड़ित देखकर सात बोधि-अंगों सिखाए।
वे, उसमे ख़ुश हो, तुरंत रोग से मुक्त हुए।
इस सत्य-वचन से तुम्हारा हमेशा भला हो।

एक बार जब धर्म-राजा बीमारी से पीड़ित थे,
चुन्द स्थविर को उन्होंने उसी सीख का श्रद्धा से पाठ करने लगाया।
और (सुन) स्वीकृति देकर वे उस बीमारी से उठ खड़े हुए।
इस सत्य-वचन से तुम्हारा हमेशा भला हो।

वे बीमारियाँ तीन महा-दर्शियों से ख़त्म की गयी,
वैसे ही जैसे मार्ग से क्लेशों का नाश होता है
– धर्मानुसार कदम-कदम चलते हुए।
इस सत्य-वचन से तुम्हारा हमेशा भला हो।

( सूत्र समाप्त )


( ऐच्छिक सत्यक्रिया और अनुमोदन:
इस सत्यवचन से सभी रोग खत्म हो!
इस सत्यवचन से सभी रोग खत्म हो!
इस सत्यवचन से सभी रोग खत्म हो! )


📋 सूची