यह परित्त विजयों की मंगलकामना से जुड़ा है, जिसे भगवान बुद्ध ने युद्ध में जाने वाले राजाओं और भिक्षुओं को सुनाया था। यह सुत्त चित्त में आत्मविश्वास, साहस और अडिगता उत्पन्न करता है। आज भी इसका पाठ कठिन परिस्थितियों में विजय, सुरक्षा और मानसिक बल प्राप्त करने के लिए किया जाता है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
हमारे महाकारुणिक रक्षक ने,
समस्त जीवों के हित के लिए,
सब पारमिताओं को पूर्ण कर,
सर्वोत्तम संबोधि प्राप्त की।
इस सत्यवचन से तुम्हारा जयमंगल हो।
बोधि वृक्ष के तले विजयी हो,
शाक्यों का आनंद बढ़ा दिया,
वैसे तुम्हारा भी जयमंगल विजय हो।
सत्कार कर बुद्ध रत्न का, जो सर्वोच्च, सर्वोत्तम औषध है,
देव और मानवों के हित बुद्ध के प्रतापी सुरक्षा से,
उपद्रवों का नाश होकर तुम्हारे सभी दुख शांत हो जाए।
सत्कार कर धम्म रत्न का, जो सर्वोच्च, सर्वोत्तम औषध है,
राग-ताप को ठंडा करने वाले धर्म के प्रतापी सुरक्षा से,
उपद्रवों का नाश होकर तुम्हारे सभी दुख शांत हो जाए।
सत्कार कर संघ रत्न का, जो सर्वोच्च, सर्वोत्तम औषध है,
उपहार देने योग्य, आवभगत करने योग्य संघ के प्रतापी सुरक्षा से,
उपद्रवों का नाश होकर तुम्हारे सभी दुख शांत हो जाए।
इस दुनिया में विविध प्रकार के,
जितने भी रत्न दिखायी देते हैं,
कोई बुद्ध के समान नहीं हैं,
इसलिए तुम्हारा कल्याण हो।
इस दुनिया में विविध प्रकार के,
जितने भी रत्न दिखायी देते हैं,
कोई धर्म के समान नहीं हैं,
इसलिए तुम्हारा कल्याण हो।
इस दुनिया में विविध प्रकार के,
जितने भी रत्न दिखायी देते हैं,
कोई संघ के समान नहीं हैं,
इसलिए तुम्हारा कल्याण हो।
मेरी शरण कहीं अन्य नहीं,
श्रेष्ठ बुद्ध में मेरी शरण है।
इस सत्यवचन से तुम्हारा जयमंगल हो।
मेरी शरण कहीं अन्य नहीं,
श्रेष्ठ धर्म में मेरी शरण है।
इस सत्यवचन से तुम्हारा जयमंगल हो।
मेरी शरण कहीं अन्य नहीं,
श्रेष्ठ संघ में मेरी शरण है।
इस सत्यवचन से तुम्हारा जयमंगल हो।
सभी आपदाएँ दूर हो,
शोक और रोग विनाश हो।
तुम्हारा कोई विघ्न न हो,
सुखी और दीर्घायु हो।
तुम्हारा सब मंगल हो,
सब देवता रक्षा करें।
सभी बुद्धों के प्रताप से,
सदा तुम्हारा कल्याण हो।
तुम्हारा सब मंगल हो,
सब देवता रक्षा करें।
सभी धर्मों के प्रताप से,
सदा तुम्हारा कल्याण हो।
तुम्हारा सब मंगल हो,
सब देवता रक्षा करें।
सभी संघों के प्रताप से,
सदा तुम्हारा कल्याण हो।
बुरे नक्षत्र, यक्ष और भूत,
दुर्भाग्य गृह के पड़ते प्रभाव,
इस परित्राण के प्रताप से,
सभी उपद्रव समाप्त हो।
जो बुरे संकेत, अपशकुन हैं,
पक्षियों के डरावने बोल हैं,
कष्टप्रद भाग्य, बुरे-स्वप्न हैं,
बुद्ध के प्रताप से वे सब नष्ट हो।
जो बुरे संकेत, अपशकुन हैं,
पक्षियों के डरावने बोल हैं,
कष्टप्रद भाग्य, बुरे-स्वप्न हैं,
धर्म के प्रताप से वे सब नष्ट हो।
जो बुरे संकेत, अपशकुन हैं,
पक्षियों के डरावने बोल हैं,
कष्टप्रद भाग्य, बुरे-स्वप्न हैं,
संघ के प्रताप से वे सब नष्ट हो।