नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मा-सम्बुद्धस्स

खन्ध परित्त

एक बार एक भिक्षु की सर्पदंश से मृत्यु हो गई। तब भगवान बुद्ध ने भिक्षुओं को चार प्रमुख सर्प राजकुलों के प्रति मैत्रीभाव विकसित करने की सीख दी। कहा जाता है कि इस परित्त का श्रद्धापूर्वक पाठ कर मैत्री फैलाने से साँपों से रक्षा हो सकती है, यहाँ तक कि दंश के बाद भी विष से मृत्यु न हो।

📢 खन्ध परित्त सुत्तपाठ

Sutra

नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।
नमो तस्स भगवतो अरहतो सम्मासम्बुद्धस्स।

विरुपक्खेहि मे मेत्तं, मेत्तं एरापथेहि मे,
छब्या-पुत्तेहि मे मेत्तं, मेत्तं कण्हा-गोतमकेहि च।

अपादकेहि मे मेत्तं, मेत्तं दि-पादकेहि मे,
चतुप्पदेहि मे मेत्तं, मेत्तं बहुप्पदेहि मे।

मा मं अपादको हिंसि, मा मं हिंसि दि-पादको,
मा मं चतुप्पदो हिंसि, मा मं हिंसि बहुप्पदो।

सब्बे सत्ता सब्बे पाणा सब्बे भूता च केवला
सब्बे भद्रानि पस्सन्तु मा किञ्चि पाप’मागमा।

अप्पमाणो बुद्धो।
अप्पमाणो धम्मो।
अप्पमाणो सङघो।

पमाण-वन्तानि सिरिं-सपानि,
अहि विच्छिका सत-पदी,
उण्णानाभी सरबू मूसिका।

कता मे रक्खा।
कता मे परित्ता।
पटिक्कमन्तु भूतानि।

सो’हं नमो भगवतो,
नमो सत्तन्नं सम्मा-सम्बुद्धानं।

( सूत्र समाप्त )


( ऐच्छिक सत्यक्रिया और अनुमोदन:
एतेन सच्चवज्जेन सोत्थि ते होतु सब्बदा!
एतेन सच्चवज्जेन सब्ब दुक्खा, सब्ब भया,
सब्ब रोगा, सब्ब अन्तरायो, सब्ब उपद्दवा विनस्सतु!
एतेन सच्चवज्जेन होतु नो जयमङ्गलं! )

Hindi

उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।

विरूपक्षों के प्रति मैं सद्भावना करूँ,
सद्भावना करूँ मैं ऐरापथों के प्रति।
छ्ब्यापुत्रों के प्रति मैं सद्भावना करूँ,
सद्भावना करूँ मैं कान्हा गोतमों के प्रति।

बेपैर [जीवों] के प्रति मैं सद्भावना करूँ,
सद्भावना करूँ मैं दुपैरों के प्रति।
चतुपैरों के प्रति मैं सद्भावना करूँ,
सद्भावना करूँ मैं बहुपैरों के प्रति।

बेपैर मेरे प्रति न हिंसा करें,
मेरे प्रति हिंसा न करें दुपैर।
चतुपैर मेरे प्रति न हिंसा करें,
मेरे प्रति हिंसा न करें बहुपैर।

सभी सत्व, सभी प्राणी,
सभी जीव, हर कोई —
मात्र भलाई देखें।
पाप से किंचित भी
समागम न करें।

बुद्ध असीम है!
धर्म असीम है!
संघ असीम है!

किंतु रेंगते जीव सीमित हैं
— सांप, बिच्छू, गोजर,
मकड़ियां, छिपकलियां, चूहें।

स्वयं को मैने संरक्षित किया।
मैने स्वयं पर कवच बांध लिया।
चले जाएँ सभी जीव!

मैं नमन करूँ भगवान को।
नमन है सातों सम्यक-सम्बुद्ध को!

( सूत्र समाप्त )


( ऐच्छिक सत्यक्रिया और अनुमोदन:
इस सत्यवचन से सबका भला हो!
इस सत्यवचन से सभी दुःख, सभी ख़तरे,
सभी रोग, सभी बाधाएँ, सभी उपद्रव नष्ट हो!
इस सत्यवचन से सभी का जयमंगल हो! )


🔔धम्मदीप.com पर यूट्यूब वीडियो की सिफारिश दुर्लभ है, लेकिन यह प्रस्तुति विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

‘आचार्य अचलो भिक्खु’ द्वारा प्रकाशित खन्धपरित्त पाठ के इस प्रेरणादायी वीडियो को ‘शिवानी गुप्ता अगरवाल’ ने अद्वितीय सौंदर्य के साथ गाया, जबकि कामुद, उदय और रूपक ने इसे भावपूर्ण संगीत से संवारकर एक उत्कृष्ट कृति बना दिया —

Youtube video bg6JvJuYP6U

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