यह एक महत्वपूर्ण रक्षा सूत्र है, जिसे विपत्तियों से बचाव के लिए पढ़ा जाता है। यह उस समय की घटना पर आधारित है जब बोधिसत्व मयूर तपस्या कर रहे थे और एक शिकारी ने उन्हें पकड़ने का प्रयास किया। लेकिन मोर ने अपने नित्य परित्त पाठ की शक्ति से स्वयं की रक्षा कर ली, जिससे यह सूत्र आत्मरक्षा, सौभाग्य और सतर्कता के महत्व को दर्शाता है।
ये ब्राम्हणा वेदगू सब्ब-धम्मे,
ते मे नमो ते च मं पालयन्तु।
नमत्थु बुद्धानं, नमत्थु बोधिया।
नमो विमुत्तानं, नमो विमुत्तिया।
इमं सो परित्तं कत्वा
मोरो चरति एसना।
ये ब्राम्हणा वेदगू सब्ब-धम्मे,
ते मे नमो ते च मं पालयन्तु।
नमत्थु बुद्धानं, नमत्थु बोधिया।
नमो विमुत्तानं, नमो विमुत्तिया।
इमं सो परित्तं कत्वा,
मोरो वासमकप्पयी’ति।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उन भगवान अरहंत सम्यक-सम्बुद्ध को नमन है।
उदय-होते चक्षुमान राजा (सूर्य) सुनहरे-वर्ण, पृथ्वी को प्रकाशित करनेवाले:
मैं आपको नमन करता हूँ सुनहरे-वर्ण, पृथ्वी को प्रकाशित करनेवाले।
आज आपसे रक्षित हो, मैं यह दिवस जी पाऊँ।
वे ब्राह्मण, समस्त धर्म-सत्य जाननेवाले मैं उन्हें नमन करता हूँ; वे मेरे ऊपर नज़र रखे।
बुद्धों को नमन, बोधि को नमन। विमुक्त-जनों को नमन, विमुक्ति को नमन।
ऐसा रक्षा-मंत्र बांधकर मोर भोजन की तलाश में निकलता है।
अस्त-होते चक्षुमान राजा (सूर्य) सुनहरे-वर्ण, पृथ्वी को प्रकाशित करनेवाले:
मैं आपको नमन करता हूँ सुनहरे-वर्ण, पृथ्वी को प्रकाशित करनेवाले।
आज आपसे रक्षित हो, मैं यह रात जी पाऊँ।
वे ब्राह्मण, समस्त धर्म-सत्य जाननेवाले मैं उन्हें नमन करता हूँ; वे मेरे ऊपर नज़र रखे।
बुद्धों को नमन, बोधि को नमन। विमुक्त-जनों को नमन, विमुक्ति को नमन।
ऐसा रक्षा-मंत्र बांधकर मोर अपना घोंसला लगाता है।
( सूत्र समाप्त )
( ऐच्छिक सत्यक्रिया और अनुमोदन:
इस सत्यवचन से सबका भला हो!
इस सत्यवचन से सभी दुःख, सभी ख़तरे,
सभी रोग, सभी बाधाएँ, सभी उपद्रव नष्ट हो!
इस सत्यवचन से सभी का जयमंगल हो! )